जय माता दी

जय माता दी

Sunday, September 28, 2014

कन्या-पूजन (कविता)
 भारत जैसे देश में,
   जहाँ माँ दुर्गा पूजी जाती है,
      नवरात्र त्यौहार मनाया जाता है
      फिर क्यों ऐसे देश में
     कन्या-पूजन का
    उपहास उड़ाया जाता है???

                   कन्या तो माँ का रूप है,
        शक्ति का स्वरूप है,
           पहले उसकी पूजा होती है,
           उसे पहले खाना खिलाया जाता है,
           फिर क्यों ऐसे देश में,
           कन्या को ग्रास बनाया जाता है,
           कन्या-पूजन का
           उपहास उड़ाया जाता है??? 

           कन्या में तो माँ बसती है,
           वह हँस दे तो, किस्मत हँसती है,
           हम कंजक पूजन करते हैं,
           उसका सम्मान करते हैं,
           उसे चुनरिया ओढ़ा कर,
           फिर क्यों उसे,
           उसी चुनरी से बेज़ार कराया जाता है
           फिर क्यों ऐसे देश में,
           कन्या पूजन का
           उपहास उड़ाया जाता है??? 

                  कंजक के दर्शन तो,
           सम्पन्नता की निशानी है,
           कन्या-पूजन की महिमा से तो,
         दुनिया आनी-जानी है,
         फिर क्यों उसके संग
         दुष्कर्म करके,
         देश को, शरमोसार कराया जाता है
         फिर क्यों ऐसे देश में,
         कन्या-पूजन का
         उपहास उड़ाया जाता है???
             *************************  
          मोना पाल "वैष्णवी"
         असि. लाईब्रेरियन
         पंजाब विश्वविद्यालय
      चंडीगढ़
   ईमेल: monapall.chd@gmail.com




                     

                           

Sunday, September 14, 2014

ईश्वर से संवाद (कविता)
मैंने पूछा  भगवान से
माँ के प्यार का क्या मूल्य है,
भगवान,  एक दम स्तब्ध और हैरान,
माँ के प्यार का मूल्य पूछ रहा है,
ऐ इंसान,
तुझे पता नहीं, माँ तो इस धरती पे,
मेरा अवतार है
इसके प्यार की तो,
पूरे त्रिलोक में दरकार है
अपने हर बच्चे की ये तकदीर है,
माँ का प्यार खुशनसीबों को मिलता है,
इसका दिल दुखे तो,
भगवान का तख़्त हिलता है
माँ की  सेवा से जन्नत के दरवाज़े खुलते हैं,
माँ जिनकी ना हो,
वे संसार में रुलते हैं
माँ का प्यार कड़ी धूप में छाया है,
माँ का प्यार हर रिश्ते में खुशियाँ लाया है
माँ के बिना बच्चे बेजान हैं,
माँ से ही तो इस जग में, 
बच्चों की पहचान है, बच्चों की पहचान है!!! 

मैंने पूछा भगवान से,
पत्नी के प्यार का क्या मूल्य है,
भगवान बोले,
ये तो लक्ष्मी का रूप है,
बुद्धिमत्ता और प्रेम का स्वरुप है
पति के लिए इसका प्यार बहुमूल्य है,
इसके बिना पारिवारिक जीवन अधूरा है
पति भी कहाँ, इस रिश्ते के बिन पूरा है
हर मोड पे पति का साथ देती है वो,
दुःख और सुख दोनों बाँट लेती है वो,
सह लेती है हर कहर जो उसने उसपे ढाया,
आने नहीं देती पति पे गम का साया
चुप रह कर भी बात कर लेती है वो,
हर मुश्किल का हल देती है वो
पत्नी का इस धरती पे, 
माँ लक्ष्मी के रूप में निवास है
जो नहीं करते इनकी पूजा व सम्मान
उनसे हो जाती लक्ष्मी नाराज़ है
इसलिए सदा इनका सम्मान करो
इनसे ही परिवार में जान है
अगर पत्नी नहीं तो,
पूरा परिवार बेजान है, पूरा परिवार बेजान है!!!

मैंने पूछा भगवान से
कन्या के प्यार का क्या मूल्य है,
भगवान हँसे और फिर कहा,
कन्या  सूने बाग में फुलवारी है
उसकी अच्छी लगती सबको किलकारी है
जब ये घर आती है,
तो खुशियाँ छा जाती हैं
कन्या तो कंजक का रूप है,
उसमें माँ का दिखता स्वरुप है
कन्या अपने पिता का संबल है,
कन्या अपनी माँ की जान है,
कन्या अपने भाई की ज़िम्मेदारी है,
कन्या हर रूप में निराली है
खुशनसीब हैं वो इस जग में,
जिसने भी कन्या पाली है
कहते हैं बेटा  शादी तक बेटा होता हैं,
पर कन्या शादी के बाद भी बेटी कहलाती है
वह पास रहे या दूर अपने माता-पिता से,
एक ही परिवार का नहीं, 
दो- दो परिवारों की ज़िम्मेदारी उठाती है
जिस घर में कन्या नहीं, 
वो घर वीरान है
और जिन -जिन घर में कन्या है,
समझो, जानो और दिल से मानो, 
वे मेरा वरदान हैं, वे मेरा वरदान हैं!!
*************************
मोना पाल “वैष्णवी” 
(असि.लाइब्रेरियन पंजाब यूनिवर्सिटी)





Saturday, September 13, 2014

ले लो दुआएं माता-पिता की (कविता)

ले लो दुआएं माता-पिता की (कविता) 
ले लो दुआएं माता-पिता की,
ये बड़े महान हैं
 इनका दिल न दुखाओ कभी, 
ये ही इस धरती पे भगवान् हैं 
बचपन से ही लाड लड़ाते, 
हमें हर दुःख से बचाते, 
कर देते हमारी हर ख़ुशी पे 
अपनी हर ख़ुशी कुर्बान हैं, 
ले लो दुआएं माता-पिता की,
ये बड़े महान हैं
 इनका दिल न दुखाओ कभी, 
ये ही इस धरती पे भगवान् हैं, 
हमारी यौवन अवस्था में, 
अच्छे बुरे का पाठ सिखाते, 
कर देते हम पर छाया, 
खुद सदा धूप सह जाते, 
इनका सानी नहीं कोई जग में, 
इनके बिना,
बच्चों की दुनिया वीरान है, 
ले लो दुआएं माता-पिता की,
ये बड़े महान हैं 
इनका दिल न दुखाओ कभी, 
ये ही इस धरती पे भगवान् हैं, 
माता-पिता से बढकर नही है कोई दौलत, 
बच्चों इनपर नाज़ करो, 
अपनी कमाई के चक्कर में, 
न इनको नज़रंदाज़ करो, 
ये न रहे तो तुम्हारी दौलत,
यूँ ही रुल जायेगी, 
ये चले गये तो फिर कोई दौलत
 न काम आयेगी, 
इनके होने से ही,ये घर है स्वर्ग तुम्हारा, 
न भूलो,
इनके बिना, ये घर तुम्हारा शमशान है 
ले लो दुआएं माता-पिता की, 
ये बड़े महान हैं,
 इनका दिल न दुखाओ कभी, 
ये ही इस धरती पे भगवान् हैं 
अपना घर संवारते रहते, 
तुम्हें सदा ही खुश रखने की खातिर, 
असीमित प्यार वारते रहते,
 आज तुम्हारा वक्त आया है 
उनका जीवन संवारो तुम, 
उनकी खुशी की खातिर,
 अपना सब कुछ वारो तुम 
सपने में भी ये मत सोचो 
वे बोझ हैं तुम पे, 
इनकी सेवा करना ,
तुम्हारे लिए,
 उस खुदा का फरमान है 
ले लो दुआएं माता-पिता की,
ये बड़े महान हैं 
इनका दिल न दुखाओ कभी, 
ये ही इस धरती पे भगवान् हैं... 
******************* 
 मोना पाल“वैष्णवी” 
(असि.लाइब्रेरियन पंजाब यूनिवर्सिटी)

Sunday, September 7, 2014

शिक्षक- दिवस(कविता) 
शिक्षक-दिवस हमारे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है, 
इस दिन हमें हमारे गुरु व शिक्षक का महत्व बताया जाता है
 माता-पिता तो बचपन से बच्चों में नवजीवन भरते  हैं, 
 पर शिक्षक तो आजीवन ही बच्चों में मानसिक संतुलन बनाये रखते हैं, 
माता-पिता का दायित्व तो घर तक सीमित होता है, 
शिक्षक घर से बाहर बच्चों का दायित्व संभालते हैं,
विद्यार्थी चाहे जैसे भी हों, 
 उनकी शख्सियत, अपने परिश्रम से निखारते हैं, 
बच्चों में आत्म- विश्वास बढ़ाते, सच्चा मार्गदर्शन दिखलाते हैं, 
उन्हें नैतिकता की सीख देकर, 
जीने की कला सिखाते हैं, 
निरक्षरता के अँधेरे मिटाकर, 
उनके जीवन में साक्षरता के उजाले लाते हैं, 
शिक्षक ना हों तो बच्चों का जीवन निराधार है, 
चाहे जितनी दौलत कमा लें, 
शिक्षा के बिना, जीवन बेकार है, 
स्वयं विधाता ने भी शिक्षकों व गुरुओं का सम्मान किया, 
खुद से श्रेष्ठ बताकर उनका वेद पुराणों में गुणगान किया,
शिक्षक हमारे भारत की उन्नति के परिचायक हैं, 
माता-पिता के बाद, 
बच्चों के लिए वे ही सच्चे नायक हैं, 
गर हमें अपने भारत को ऊँचाईंयों पर ले जाना है, 
तो हमें शिक्षक-विद्यार्थी के सम्बन्ध को सुदृढ़ बनाना है, 
आओ मिलकर नए भारत का निर्माण करें, 
शिक्षकों का सम्मान करके, 
अपना भविष्य उज्जवल बनाएं हम, 
अन्धकार में डूबे बच्चों के जीवन में शिक्षा-ज्योत जगाएं हम, 
ये न भूलें, शिक्षकों से ही, भारत की संसार में पहचान है, 
शिक्षक ना हों तो, हम तो क्या, 
ये भारत भी निष्प्राण है, ये भारत भी निष्प्राण है!!!!

*******************
मोना पाल वैष्णवी
(असि.लाइब्रेरियन पंजाब यूनिवर्सिटी)
चंडीगढ़
ईमेल : monapall.chd@gmail.com


हौंसला रखना...(कविता)
ये जिंदगी बड़ी ही  हसीं है
इसे जीने का हौंसला रखना
माना इस राह में हैं काँटें अनेक 
फिर भी खुशबू फैलाने का हौंसला रखना...
बड़ी संगीन है ये दुनिया, तुम्हें हँसने नहीं देगी
फिर भी,  एे दोस्त, मुस्कुराने का हौंसला रखना...
कदम कदम पर दिल तोड्तें हैं ये लोग
तुम अपना दिल मज़बूत बनाने का हौंसला रखना...
ये जिंदगी ग़मों का सागर भी है
तुम आंसुओं में भी मुस्कुराने का हौंसला रखना...
 जिंदगी में दुनिया, तुम्हें  उड़ान भरने नहीं देगी,
पर तुम, ऐ इंसान, अवसर के असीमित  आकाश में
     उड़ने का हौंसला रखना...
*************
मोना पाल वैष्णवी
(असि.लाइब्रेरियन पंजाब यूनिवर्सिटी)
चंडीगढ़
ईमेल-  monapall.chd@gmail.com


एक पैगाम-दिल से...(कविता)
ऐ खुदा, मुझे मेरे दोस्तों से मिला दो
हकीकत में तो मुमकिन नहीं
ख़्वाबों में ही मुझे
उनके हाल बता दो
गर मिले आप से कहीं,
तो कहना,
उनके बिना उदास है ये दिल
उन से दूर रहकर जीना है मुश्किल
वो दिन जो हमने साथ गुज़ारे हैं
माना वही आज के सहारे हैं
पर इस दिल को कौन समझाए
जिसे रह-रह कर उनकी याद सताए
वो जो हर पल मुझे हंसाते थे
मेरे आंसुओं को भी, अपनी आँखों से बहाते थे,
मेरे बिन कहे ही, सब जान जाते थे 
मेरी आँखों की भाषा पहचान जाते थे 
मैं दूर रहकर ये कैसे जानूं...
कि खुश है कि उदास हैं वो...
उन्होंने तो मुझे बताना नहीं है
पर ऐ काश!!! कुछ ऐसा हो जाए
जब वो हों खुश तो मेरे चेहरे पे मुस्कान आये
और जब वो हों उदास तो मेरी
ये आँखें भी  सागर छलकाएं
कुछ नहीं मांगती मैं आपसे बस इतना ही,
कि वो जहां रहे, रहे सदा खुशहाल
जितनी खुशियाँ उन्होंने मुझे दी हैं
उस से कहीं ज्यादा उन पर लुटा दूं
मेरी और उनकी धकन एक बना दो
ना जाने कहाँ गुम हैं मेरे दोस्त...
उन्हें मेरा पता बता दो
मुझे मेरे दोस्तों से मिला दो.....
*************

मोना पाल वैष्णवी
(असि.लाइब्रेरियन पंजाब यूनिवर्सिटी)
चंडीगढ़
ईमेल-  monapall.chd@gmail.com


मेरा देश महान है (कविता)

भारत देश की निराली शान है
तिरंगा देश की पहचान है
सौ बातों की  एक बात
मेरा देश महान है..

विभिन्न भाषाएँ इसकी
विभिन्न वेष-भूषायें हैं
फिर भी अनेकता में एकता से
सारी दुनिया में पहचान है
मेरा देश महान है..

अन्न देवता के रूप में
भोजन दे रहे किसान हैं
चारों पहर सीमाओं पर
रक्षा करते खड़े जवान हैं
इन जवानों का हम पर
अनगिनत अहसान हैं
मेरा देश महान है..

आज पश्चिमी संस्कृति
युवाओं को बहका रही है
नशे की  लत तथा 
असभ्य पोशाकों के
चक्रव्यूह में फंसा रही है
फिर भी सारे जहां में
हमारे देश की  संस्कृति का गुणगान है
मेरा देश महान है..

आओ दोस्तों !
अपने देश को बुरी नज़र से बचाएं
बिखरने ना दे इस देश को
चाहे कितनी भी तेज हों
साम्प्रदायिकता की  हवाएं 
हमारे देश के अस्तित्व से ही
ऊँची हमारी शान है
मेरा देश महान है..

*******************
मोना पाल वैष्णवी
(असि.लाइब्रेरियन पंजाब यूनिवर्सिटी)
चंडीगढ़
ईमेल-  monapall.chd@gmail.com