जय माता दी

जय माता दी

Sunday, September 7, 2014


 बाबा बड़े या भगवान ( व्यंग्य कविता )
बाबाओं पर कटाक्ष करना आसान नहीं होता,
क्यूंकि आजकल बाबा से बढ़कर कोई भगवान नहीं होता
न विश्वास आये तो हाल ही में देख लीजिए,
आजकल के  बाबा को ही ले लीजिए
लोग इन को ही भगवान मानते हैं,
उन्हें लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं
बाबा विश्वास  दिलाते हैं कि वे सबके दुख हरेंगे,
उनकी झोलियाँ खुशियों से भरेंगे
आज के पढ़े-लिखों को न जाने क्या हो गया है,
अच्छे खासे भगवान को छोड़,
बाबाओं पर विश्वास हो गया है
भगवान में भक्ति उनकी अधूरी हो गयी है,
पर बाबा पर आस्था पूरी हो गयी है
बाबा जिस  कृपा का दावा करते हैं,
लोग भूल गए हैं कि, वो कृपा, भगवान ने उनपर बरसाई है,
वे खुद भगवान नहीं, वे तो भगवान की परछाईं हैं
भगवान और बाबा की  मांग में फर्क सिर्फ इतना है
भगवान पैसा नहीं प्रार्थना मांगते हैं,
और बाबा पैसे की प्रार्थना मांगते हैं
अनपढ़ लोगों को तो माना कि चलो पीढ़ियों से
यही करते आ रहे हैं
पर पढ़े-लिखे लोग न जाने किस दबाव में आ रहे हैं
मैं तो यही कहूँगी, ऐ दोस्तों,
बाबाओं पर नहीं, भगवान पर विश्वास करो
क्योंकि वही तुम्हारी हर इच्छा को सम्पूर्ण करता है,
कैसी ही विकट स्थिति क्यूँ न हो,
बिना पैसे लिए तुम्हारे दुःख दूर करता है,
प्रार्थना में शिद्दत की आस होनी चाहिए,
और अपने ऊपर होना आत्मविश्वास चाहिए
ये तो सोचो, बाबाओं पे जो संकट आया तो किधर जायेंगे,
वे भी तो भगवान की ही शरण में आयेंगे,
इतना अंधविश्वासी न बनो,
कि कोई भी तुम्हारा  नुकसान कर दे,
तुमसे ही पैसे लेकर,  तुम्हारे ऊपर एहसान कर दे
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मोना पाल वैष्णवी
(असि.लाइब्रेरियन पंजाब यूनिवर्सिटी)
चंडीगढ़
ईमेल-  monapall.chd@gmail.com

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