नारी एक सशक्त आत्मा
परिवार के लिए..
नारी एक सशक्त
व्यक्तित्व
अपने आप में..
नारी एक सशक्त माँ
अपने बच्चों के
लिए...
नारी एक सशक्त बहन
अपने भाई के लिए..
नारी एक सशक्त संबल
पिता के लिए....
नारी एक सशक्त आधार
घर संसार के लिए...
नारी एक निश्छल प्यार
एक पति के लिए...
फिर भी
सोचने योग्य बात
एक निरुत्तर
प्रश्न.....
कि आज भी हाशिये पर खड़ी नारी
बनकर
मात्र एक सहज साधन
पुरुष की वासना का !!!
क्यों ? क्यों ?
क्यों ?
आखिर क्यों ?
*******************
मोना पाल “वैष्णवी”
(असि.लाइब्रेरियन
पंजाब यूनिवर्सिटी)
चंडीगढ़
ईमेल- monapall.chd@gmail.com

बहुत ही उम्दा और सार्थक रचना..हार्द्धिक बधाई.
ReplyDeleteधन्यवाद जी !!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete